अगर पुलिस ही कर दे न्याय, तो अदालतों और वकीलों की ज़रूरत क्यों?

संजीव ठाकुर की कलम से दिल्ली की अदालतों में इन दिनों थानों से वीडियो गवाही (Video Testimony from Police Stations) […]