शाहनाज़ सैफ़ी का संघर्ष : घर से खोला स्कूल, NGO बना सहारा | Faridabad Education Story

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शाहनाज़ सैफ़ी का संघर्ष : घर से खोला स्कूल, सरकार ने बंद कराया… लेकिन NGO बना सहारा

 

(संजीव ठाकुर की विशेष रिपोर्ट)

शिक्षा की राह में प्रेरणादायक मिसाल

फ़रीदाबाद —शाहनाज़ सैफ़ी का संघर्ष फ़रीदाबाद की गलियों से उठी एक प्रेरणादायक कहानी है। लॉकडाउन के दौरान जब स्कूल बंद हो गए और ग़रीब बच्चों की पढ़ाई रुक गई, तब शाहनाज़ ने अपने घर से ही एक छोटा स्कूल शुरू किया। उनका यह प्रयास सिर्फ शिक्षा तक सीमित नहीं था, बल्कि समाज को यह संदेश भी देता है कि हिम्मत और जज़्बे से हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है। समाज में बदलाव लाने वाले लोग ही सच्चे मायनों में प्रेरणा बनते हैं। ऐसी ही मिसाल पेश की है फ़रीदाबाद की शाहनाज़ सैफ़ी ने। कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कठिन समय में जब बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन क्लास तक सीमित हो गई और गरीब परिवारों के बच्चे शिक्षा से वंचित होने लगे, तब शाहनाज़ ने निस्वार्थ भाव से कदम बढ़ाया।

मार्च 2021 में उन्होंने अपने ही घर से एक छोटा-सा प्ले स्कूल शुरू किया, ताकि आसपास के बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जा सके।

घर में बना ‘पढ़ाई का मंदिर’

गरीबी और संसाधनों की कमी के बावजूद शाहनाज़ ने हार नहीं मानी।

  • बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ संस्कार और गतिविधियों से भी जोड़ा।

  • धीरे-धीरे मोहल्ले के माता-पिता को यह प्रयास पसंद आने लगा।

  • बच्चों की संख्या बढ़ती गई और स्कूल एक छोटी पहल से बड़ा बदलाव बन गया।

चार वर्षों तक शाहनाज़ ने दिन-रात मेहनत की और बच्चों का भविष्य संवारने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

सरकार का नोटिस और संघर्ष की नई चुनौती

लेकिन 19 जुलाई 2025 को अचानक शाहनाज़ को नोटिस मिला — या तो स्कूल का पंजीकरण कराइए, वरना स्कूल बंद कीजिए।
यह खबर न सिर्फ शाहनाज़ के लिए, बल्कि दर्जनों बच्चों और उनके परिवारों के लिए भी झटका थी। बच्चों की पढ़ाई अधर में लटक गई और परिवारों में चिंता का माहौल बन गया।

एक कोशिश वेलफेयर एनजीओ” बनी नई उम्मीद

जब हालात निराशाजनक लग रहे थे, तभी “एक कोशिश वेलफेयर एनजीओ” आगे आया। इस संस्था ने हर संभव मदद देकर शाहनाज़ के स्कूल को फिर से चलाने का रास्ता साफ किया।

आज शाहनाज़ का स्कूल एक बार फिर बच्चों की हंसी-खुशी और पढ़ाई से गुलजार है।

माता-पिता और समाज का आभार

बच्चों के परिजनों का कहना है:

“अगर शाहनाज़ मैडम ने यह कदम न उठाया होता, तो आज हमारे बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते। उनकी वजह से ही आज हमारे बच्चे पढ़ाई कर पा रहे हैं और आगे बढ़ने का सपना देख पा रहे हैं।”

सिर्फ़ मोहल्ले और इलाक़े के लोग ही नहीं, बल्कि सोशल मीडिया पर भी शाहनाज़ की सराहना हो रही है। लोग उन्हें ‘मिशाल कायम करने वाली शिक्षिका’ कह रहे हैं।

क्यों है शाहनाज़ सैफ़ी की कहानी खास?

  • यह संघर्ष दिखाता है कि इच्छाशक्ति से हर मुश्किल आसान हो सकती है।

  • शिक्षा के लिए उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल है।

  • यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो हालातों से हार मानने के बजाय डटे रहते हैं।

निष्कर्ष

शाहनाज़ सैफ़ी ने यह साबित कर दिया कि अगर नीयत सच्ची हो, तो बदलाव संभव है। उनका यह प्रयास न केवल बच्चों को शिक्षा की राह पर बनाए रख रहा है, बल्कि समाज को भी यह संदेश दे रहा है कि एक व्यक्ति भी बड़ा परिवर्तन ला सकता है।

 डिस्क्लेमर

यह रिपोर्ट सिर्फ़ सूचना एवं जागरूकता के उद्देश्य से लिखी गई है। इसमें दिए गए तथ्य पत्रकारिता स्रोतों और उपलब्ध जानकारियों पर आधारित हैं।

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3 thoughts on “शाहनाज़ सैफ़ी का संघर्ष : घर से खोला स्कूल, NGO बना सहारा | Faridabad Education Story”

    1. Sehnaz saifi meri behen h usne bhut achha kaam kiya h,uske ander hmesha se jazba raha h or usne kr dikhaya

  1. बहुत ही सरहनीय कदम उठाया है इन्होंने। बहुत मेहनत करती है। शिद्दत से बच्चों को पढ़ाती है। निस्वार्थ सेवा में लगी हुई है

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