Ahoi Ashtami 2025 व्रत का शुभ मुहूर्त और तिथि
Ahoi ashtami fast 2025 में सोमवार, 13 अक्टूबर को मनाया जा रहा है।
ज्योतिषाचार्य पं. चंद्रशेखर कौशिक के अनुसार, अष्टमी तिथि 13 अक्टूबर दोपहर 12:24 बजे शुरू होकर 14 अक्टूबर सुबह 11:09 बजे समाप्त होगी।
रात्रिकालीन पूजा की मान्यता के चलते इसे सोमवार को मनाना शुभ माना गया है।
Ahoi Ashtami 2025 कि पूजा और व्रत की विधि
Ahoi ashtami 2025 अहोई अष्टमी व्रत विशेष रूप से माताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला उपवास रखती हैं — यानी दिनभर बिना पानी या फलाहार के व्रत।
शाम को जब तारे दिखाई देते हैं (लगभग शाम 6:15 बजे), तब महिलाएं उन्हें अर्घ्य देती हैं और व्रत का समापन करती हैं।
कुछ महिलाएं चंद्रमा के दर्शन (रात 11:21 बजे) के बाद व्रत खोलती हैं, लेकिन चंद्रोदय देर से होने के कारण अधिकतर तारे निकलने के बाद ही पूजा की जाती है।
अहोई माता की पूजा पद्धति
महिलाएं परंपरागत रूप से दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाती हैं, जिसमें माता अहोई, साही (सेह) और उसके सात पुत्रों का चित्रण होता है।
पूजा के समय दीपक, फूल, फल, मिठाई और पूजन सामग्री माता के समक्ष रखी जाती है।
फिर महिलाएं माता की आराधना करते हुए संतानों के दीर्घायु जीवन और कल्याण की कामना करती हैं।
व्रत का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
कहा जाता है कि अहोई अष्टमी व्रत श्रद्धा और भक्ति से रखने पर सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
यह व्रत दिवाली से आठ दिन पहले और करवा चौथ के चार दिन बाद आता है।
इसे अहोई आठे भी कहा जाता है।
यह व्रत मातृत्व प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक माना जाता है, जो सनातन संस्कृति में पारिवारिक मूल्यों और मातृ शक्ति को और अधिक सशक्त बनाता है।
निष्कर्ष
अहोई अष्टमी 2025 का यह पावन पर्व माताओं के अटूट स्नेह और बच्चों के प्रति उनकी भावना को दर्शाता है।
इस व्रत के माध्यम से माताएँ अपने परिवार के सुख, धन, और समृद्धि की कामना करती हैं।
ऐसी मान्यता है कि अहोई माता की कृपा से घर में शांति, सौभाग्य और संतानों की दीर्घायु प्राप्त होती है।
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