Manimahesh Yatra Scandal: 10 Tons of Garbage, Liquor Bottles Exposed!
✍️ (संजीव ठाकुर) चम्बा:
Manimahesh Yatra scandal ने हिमाचल प्रदेश की आस्था को हिला कर रख दिया है। देवभूमि का पवित्र मणिमहेश धाम आज गंदगी और अपवित्रता की मार झेल रहा है।”
देवभूमि हिमाचल का पवित्र मणिमहेश धाम आज गंदगी, अपवित्रता और लापरवाही की मिसाल बन चुका है।
NGO Report Exposes Manimahesh Yatra Scandal
एक NGO की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिमहेश झील और कैलाश पर्वत क्षेत्र से 10 टन से अधिक दूषित अंग-वस्त्र और कचरा बरामद हुआ।
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शराब और बियर की बोतलें
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गुटखा-खैनी के पाउच
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बीड़ी-सिगरेट के टुकड़े
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मल-मूत्र और कचरे के ढेर
Pilgrimage or Picnic Spot? – Manimahesh Yatra Scandal
धार्मिक नियम कहते हैं कि पहले भरमाणी माता सरोवर में स्नान और फिर 84 मंदिर परिक्रमा करनी चाहिए। लेकिन आज के यात्री वहां रील्स, व्लॉग और फोटोशूट करने में व्यस्त हैं।
कुछ तो यहां तक कर रहे हैं कि कैलाश धाम में हनीमून मना रहे हैं।
दिव्य कमल कुंड भी अपवित्र
जहां देवताओं के स्नान की मान्यता है, वह कमल कुंड भी अब श्रद्धालुओं की लापरवाही से गंदगी का शिकार हो गया है।
लोग अपने कपड़े वहीं छोड़ देते हैं और कई इसे मनोरंजन का तालाब बना बैठे हैं।
अधूरी रह गई ‘डल तोड़ने की रस्म’
स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी अपवित्रता के कारण इस बार ‘डल तोड़ने की रस्म’ अधूरी रह गई।
लोग मानते हैं—यह माता भरमाणी का संदेश है कि मर्यादा का पालन किए बिना भगवान के सच्चे दर्शन संभव नहीं।
बड़ा सवाल: जिम्मेदारी किसकी?
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क्या सिर्फ प्रशासन जिम्मेदार है?
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क्या श्रद्धालुओं की भी नैतिक जिम्मेदारी नहीं बनती?
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क्या धार्मिक स्थल को मनोरंजन पार्क बना देना हमारी संस्कृति का अपमान नहीं?
धार्मिक संगठनों का कहना है कि अगर यह सिलसिला नहीं रुका तो भविष्य में ऐसी घटनाएं भगवान mintके तांडव को आमंत्रित कर सकती हैं।
निष्कर्ष
मणिमहेश यात्रा सिर्फ पर्यटन या मस्ती का साधन नहीं, बल्कि मोक्ष की ओर एक पवित्र मार्ग है। अगर हम आस्था की मर्यादा नहीं रखेंगे, तो देवभूमि भी हमें अपने दर्शन से वंचित कर देगी।
अब आप बताइए:
क्या गंदगी फैलाने वाले श्रद्धालुओं पर जुर्माना और सख्त सजा होनी चाहिए?
या फिर जिम्मेदारी प्रशासन पर डालना ही काफी है?
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