नाटो चीफ मार्क रूट की भारत को रूस के साथ व्यापार पर धमकी, BRICS देशों को सेकंडरी सैंक्शन की चेतावनी

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32 सदस्य देशों वाले सैन्य संगठन नाटो के चीफ मार्क रूट ने भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर खुली चेतावनी दी और कहा कि भारत अगर रूस के साथ व्यापार जारी रखता है तो गंभीर आर्थिक दंड (सेकंडरी सैंक्शन) का सामना करना पड़ सकता है। भारत के साथ ही मार्क रूट ने चीन और ब्राजील को भी टैरिफ को लेकर धमकी दी है।

दरअसल, नाटो चीफ मार्क रूट ने भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर खुली चेतावनी दी और कहा कि अगर वह रूस के साथ व्यापार जारी रखता है तो गंभीर आर्थिक दंड का सामना करना पड़ सकता है। भारत के साथ ही उन्होंने चीन और ब्राजील का भी नाम लिया। खास बात ये है कि ये सभी ब्रिक्स समूह के देश हैं। वहीं इस मामले को लेकर भारत पहले भी कह चुका है कि वह अपने व्यापारिक संबंधों को राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए महत्व देता है।

आपको बताते चलें कि बुधवार को अमेरिकी सीनेटरों से मुलाकात के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में रूट ने भारत, चीन और ब्राजील के नेताओं से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर शांति वार्ता को गंभीरता से लेने के लिए दबाव डालने का आग्रह किया। रूट ने कहा, “अगर आप चीन के राष्ट्रपति, भारत के प्रधानमंत्री या ब्राजील के राष्ट्रपति हैं और रूस के साथ व्यापार करना और उनका तेल व गैस खरीदना जारी रखते हैं, तो आपको पता होना चाहिए, अगर मॉस्को में बैठा व्यक्ति शांति वार्ता को गंभीरता से नहीं लेता है तो मैं 100 प्रतिशत सेकंडरी प्रतिबंध लगा दूंगा।” उन्होंने आगे कहा, “इन तीन देशों के लिए मेरा विशेष प्रोत्साहन यह है कि अगर आप बीजिंग या दिल्ली में रहते हैं, या आप ब्राजील के राष्ट्रपति हैं, तो आप इस पर गौर करना चाहेंगे, क्योंकि यह आपको बहुत प्रभावित कर सकता है।”

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वहीं नाटो चीफ की टिप्पणी के एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों के खिलाफ 100 प्रतिशत सेकंडरी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इसके साथ ही व्हाइट हाउस ने नाटो के माध्यम से यूक्रेन को नए हथियारों की सप्लाई की मंजूरी भी दी थी। व्हाइट हाउस ने बताया कि ट्रंप की योजना में पैट्रियट मिसाइल सिस्टम जैसे खतरनाक हथियार भेजना शामिल हैं। कीव इन हथियारों को रूसी हवाई हमलों का मुकाबला करने के लिए महत्वपूर्ण मानता है।

आपको बताते चलें कि नाटो यानी कि उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन एक अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन है, जिसमें उत्तरी अमेरिका और यूरोप के 32 देश शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य राजनीतिक और सैन्य साधनों के माध्यम से अपने सदस्यों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा करना है।

वहीं नाटो चीफ मार्क रूट के इस बयान के बाद यूरोप का दोहरा चरित्र एक बार फिर से खुलकर सामने आ गया है। वो यूरोप जो खुद अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए रूस पर निर्भर है, वह भारत और चीन जैसे देशों को ज्ञान दे रहा है। आपको बताते चलें कि 2021 में, यूरोपीय संघ अपनी कुल गैस आपूर्ति का लगभग 40% रूस से प्राप्त करता था, और 2022 में यह आंकड़ा 34% था। 2021 में, यूरोपीय संघ में इस्तेमाल होने वाले तेल का लगभग एक-चौथाई हिस्सा, यानी कुल 48 अरब यूरो, रूस से आया था। हां, ये अलग बात है कि 2022-2023 में, रूस से यूरोप को गैस की आपूर्ति में काफी कमी आई — 2021 में 155 बिलियन क्यूबिक मीटर से घटकर 2023 में 28 बिलियन क्यूबिक मीटर तक पहुंच गई। वहीं यूरोप ने 2024 में करीब 7.32 बिलियन यूरो मूल्य का एलएनजी रूस से आयात किया है, और आज भी जब आप यह खबर पढ़ रहे हैं, तब भी यूरोप रूस से तेल और गैस आयात कर रहा है। और दूसरी तरफ नाटो के चीफ भारत को रूस के साथ व्यापार करने पर धमकी दे रहे हैं।

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